बिना आरक्षण खोए धर्म बदल करने का कानूनी और आसान तरीका।(सिर्फ़ अनुसूचित जातियों के लिए)

बिना आरक्षण खोए धर्म बदल करने का
            कानूनी और आसान तरीका।
          (सिर्फ़ अनुसूचित जातियों के लिए)
       
👉  *अनुसूचित जाति से संबंधित लोग सिर्फ़ हिन्दू ही नहीं बल्कि ईसाई और मुस्लिम भी, जो की आरक्षण पाने के लिए सरकारी दस्तावेजों तथा जनगणना में धर्म - हिंदू लिखने के लिए मजबूर हैं, वे सभी संविधान (अ.जा.) आदेश (संशोधित) 1990 के तहत अपना धर्म - बौद्ध लिख सकते हैं।


👉 *मतलब अनुसूचित जाति से संबंधित लोगों के धर्म - बौद्ध और जाति - चमार, महार, मांग, भंगी, दुसाध, पासी आदि लिखने के साथ ही उन्हें संविधान (अ.जा.) आदेश 1950 लागू हो जाता है और धर्म बदल करने के बावजूद उनके सभी संवैधानिक अधिकार सुरक्षित हो जाते हैं।*

*तो आइए!*
👉 *हम सभी अनुसूचित जाति के लोग प्रतिज्ञा करतें हैं की......*
*आज अभी से अपने जीवन में, कहीं भी 'हिन्दू' शब्द नहीं लिखेंगे और जब भी धर्म लिखने की बात होगी, तो बौद्ध धर्म ही लिखेंगे।* 
                *धर्म परिवर्तन*
   *तीन पीढ़ियों का कार्यक्रम होगा*
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👉 1) *पहली पीढ़ी में सिर्फ़ लिखेंगे! यानि होली - दिवाली मनाते है, तो मनाईए! लेकिन याद रखिए! बच्चों के विद्यालय नामांकन पंजी से लेकर सभी निजी, सरकारी दस्तावेज हो या भारतीय जनगणना में धर्म-बौद्ध तथा अपनी अनुसूचित जाति लिखें!*

👉 2) *दूसरी पीढ़ी में सिखेंगे! यानि जिन बच्चों के सभी दस्तावेजों में बौद्ध-ही-बौद्ध लिखा होगा, बौद्ध संस्कार सिखना उनकी जरूरत होगी, यानि दूसरी पीढ़ी में होली दिवाली मनाना अपने आप बंद हो जाएगा।*

👉 3) *बौद्ध संस्कारों से परिपूर्ण तीसरी पीढ़ी में सही मायने में बौद्ध समाज निर्माण होगा।*

👉 *जरा सोचिए! जनगणना मे लगभग 25 करोड़ अनुसूचित जाति के लोग बौद्ध लिखेंगे तो जितना हमारा संख्या-बल बढ़ेगा, उतना ही मनुवादियों का संख्या-बल घटेगा।*

👉 *कमज़ोर पड़े मनुवादियों को जब लगभग 25 करोड़ बौद्धों के शक्ति का अहसास होगा तब जाकर के हमारे भारत की एक मजबूत सेक्युलर राष्ट्र के रुप में संस्थापना होगी।*

धन्यवाद!

अच्युत भोईटे (बी कॉम एम बी ए)
संस्थापक तथा राष्ट्रीय संयोजक
दि बुध्दिस्ट शेड्यूल कास्ट मिशन ऑफ इंडिया.
मो. 9870580728.


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